इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी को हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास तथा उसके व्याकरणिक व साहित्यिक पक्ष की सामान्य जानकारी प्राप्त करवाना है। ताकि विद्यार्थी अपने भावों विचारों की अभिव्यक्ति प्रभावशाली ढंग से कर सके । गद्य और पद्य के साथ-साथ व्याकरण से विद्यार्थियों की भाषा का शुद्धीकरण भी होगा जिससे कि वह अपने कार्य क्षेत्र में भाषा के माध्यम से अपनी योग्यता सिद्ध कर सके।
हिन्दी भाषा का परिचय देवनागरी लिपि और उसकी विशेषताएँ
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जागो फिर एक बार, भिक्षुक
हरिवंश राय बच्चनः पथ की पहचान
केदार नाथ अग्रवाल: यह धरती है उस किसान की
दुष्यन्त कुमारः हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
बालमुकुन्द गुप्तः एक दुराशा
महादेवी वर्माः सिस्तर का वास्ते
हरिशंकर परसाईः भोलाराम का जीव
प्रत्ययः व उपसर्ग
संधि (केवल स्वर- दीर्घ, गुण, यण, वृद्धि अयादि)
समासः (अव्ययीभाव, द्वंद्व, द्विगु, कर्मधारय, तत्पुरूष, बहुब्रीहि)
मुहावरे व लोकोक्Ÿिायाँ (राजस्थानी)
विलोम, पर्यायवाची
संज्ञाः (व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक) राजस्थानी लोकोक्तियाँ 1- बाहर बाबू सूरमा, घर में गीदड़दास। 2- पाँच सात की लाकड़ी, एक जणै को भार। 3- मीठा खरबूजा खांड सू खावो, काची काकड़िया रै लूण लगावौ। 4- पूत सपूता क्यूँ धन संचे, पूत कपूता क्यूँ धन संचै। 5- मनख धारे जो करे। 6- थोथो चणो बाजे घणो। 7- जनमै जद जा दीख, पूतां रा पग पालणे। 8- अंबर को तारो हाथ सूं कोनी टूटै। 9- अक्कलमंद नै इसारो घणो। 10- अठी नै पड़ै तो कूवौ, वठी ने पड़ै तो खाई। 11- अलख राजी तो खलक राजी। 12- आंगली पकड़तौ-पकड़तौ पूंचो पकड़ लियो। 13- आया री समाई पण गया री समाई कोनी। 14- ऊंदरी रा जाया बिल ई खोदै। 16- कठै राजा भोज, कठै गांगलो तेली। 17- कथनी सूं करणी दोरी। 18- कागा रे तू मळमळ न्हाय, थारी काळस कदे नै जाय। 19- कुण-कुण नै समझाइये, कुवै भांग पड़ी। 20- कीड़ी चाली सासरै, नौ मण सुरमौ सार। 21- गयी भूख नै हेला पाड़ै। 22- गाय न बाछी, नींद आवै आछी। 23- चोरी रो धन मोरी मंे जाय। 24- ठाकर तो ठिकाणै ई रूड़ा लागे। 25- भैंस रे आगे बीण बजाई, गोबर रो ईनाम।
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Suggested Readings:
साहित्य खण्ड: पद्य की निर्धारित रचनाओं के लिए उपलब्ध पुस्तकें
1. काव्यधारा - सं. डाॅ. राजकुमार सिंह परमार, इंडिया बुक हाऊस, जयपुर
2. पद्य संचयन - डाॅ. मकरन्द भट्ट साक्षी पब्लिशिंग हाऊस, जयपुर, संस्करण 2008
3. गद्य प्रभा - सं. डाॅ. राजेश अनुपम, युनिक बुक हाऊस, बीकानेर, संस्करण 2012
4. साये में धूप- दुष्यन्त कुमार, राधाकृष्ण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली, बीसवाँ संस्करण - 2009
5. गद्य-पद्य संचयन, डाॅ. अशोक गुप्ता एवं डाॅ. रजनीश भारद्वाज, राजस्थान प्रकाशन जयपुर, प्रथम संस्करण, 2004