हिंदी हमारी राजभाषा है।राजभाषा होने के नाते सरकारी-गैर सरकारी कार्यालयों में कामकाज के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रयोजनमूलक हिंदी से परिचित करवाना है ताकि वे विभिन्न कार्य क्षेत्रों में जैसे-बैंक, पत्रकारिता, संचार माध्यम, सरकारी कार्यालय और शिक्षण संस्थाओं आदि विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता सिद्ध कर सके।
• प्रयोजन मूलक हिन्दी: सिद्धांत और प्रयोग - दंगल झाल्टे, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली,संस्करण 2006
• प्रयोजन मूलक हिन्दी के विविध रूप - डाॅ. राजेन्द प्रसाद मिश्र, राकेश शर्मा, तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली,प्रथम संस्करण 2005
• प्रयोजन मूलक हिन्दी - संरचना एवं अनुप्रयाग- डाॅ. राम प्रकाश, डाॅ- दिनेश गुप्त, राधाकृष्ण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली, आवृत्ति 2008
• संक्षेपण और पल्लवन - कैलाश चंद्र भाटिया/तुमन सिंह, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली।
• पत्रकारिता एवं संपादन कला, तुमन सिंह सी-पंत, राधा पब्लिकेशन, नई दिल्ली,द्वितीय परिवर्धित एवं परिमार्जित संस्करण 2015
• पत्र व्यवहार निर्देशिका, डाॅ- भोलानाथ तिवारी, डाॅ- विजय कुलश्रेष्ठ,वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 2006